कड़ी होगी कंपनियों की ऑडिट, सेक्रेटेरियल रिपोर्ट के फॉर्मेट में बदलाव की सेबी कर रही तैयारी
SEBI Rules: निवेशकों से फ्रॉड करने वाली कंपनियों की अब खैर नहीं है. फ्रॉड के लक्षण दिखते ही कंपनियां अब पकड़ा जाएंगी. शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी ऐसा इंतजाम करने जा रही है, ताकि शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशक धोखाधड़ी के शिकार नहीं हों. इसके लिए कंपनियों की कड़ी निगरानी की जाएगी. कंपनियों की ऑडिट कड़ी की जाएगी. इसके लिए सेबी एनुअल सेक्रेटेरियल कंप्लायंस रिपोर्ट के फॉर्मेट में बदलाव करने जा रही है. सेबी की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है. इसके तहत ऑडिट करने के रूल बदले जा रहे हैं. ऑडिटरों को कंपनी के बारे में इस तरह से रिपोर्टिंग करनी होगी कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.
तलवार की धार पर रहेंगे ऑडिटर
सेबी की रडार पर कंपनियों के मैनेजमेंट के साथ ही कंपंनियों के ऑडिटर भी रहेंगे. सेबी की ओर से जारी कंसल्टेशन पेपर के तहत ऑडिटर की नियुक्ति की प्रक्रिया में भी बदलाव की जाएगी. इसके अलावा ऑडिटरों की योग्यता की भी कड़ाई से जांच की जाएगी. स्टॉक एक्सचेंज को भी कंपनियों से सेबी के नए एनुअल सेक्रेटेरियल कंप्लायंस रिपोर्ट के फॉर्मेंट के तहत कंप्लायंस रिपोर्ट लेने के लिए कहा जाएगा. सेबी के इस तरह के कदम का मकसद कंपनियों में हायर लेवल ऑफ ऑथेंटिसिटी और ट्रांसपैरेंसी कायम करना है, ताकि निवेश करने वाले कंपनी की स्टॉक एक्सचेंज में रेगुलेटरी फाइलिंग देखकर कंपनी की वित्तीय सेहत के बारे में ठीक-ठाक अंदाज लगाकर निवेश के बारे में सही फैसले ले सकें.
सेबी को क्यों उठाना पड़ रहा यह कदम
हाल के दिनों में कंपनियों में फ्रॉड की बाढ़ आई हुई है, इनमें से अधिकतर में मामलों का पता तब चलता है, जब निवेशकों की ओर से धोखाधड़ी की शिकायत की जाती है. इनमें से अधिकतर मामलों में कंपनी की गड़बड़ी देरी से पता चलने का सबसे बड़ा कारण कंपनियों की ओर से गलत तरीके से की गई फाइनेंशियल रिपोर्टिंग होती है. इसमें अधिकतर ऑडिटरों की मिलीभगत सामने आती है