सिविल लाइन पुलिस द्वारा विधि विधान से किया गया शस्त्र पूजा ।
बिलासपुर । आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। नवमी और दशमी एकसाथ होने की वजह से आज ही विजयादशमी का पर्व मनाया जा रहा है। ज्योतिषों के अनुसार, सुबह 7 बजकर 41 मिनट के बाद दशमी तिथि लग रही है। इस दिन देवी अपराजिता की पूजा की जाती है और इस पूजा में मां रणचंडी के साथ रहने वाली योगनियों जया और विजया को पूजा जाता है। रामायण और महाभारत काल से इस पूजा का चलन चल रहा है। भारतीय सेना सहित देश हर सेना आज भी इस परंपरा को निभाती है और दशहरे के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करती है। इस उपलक्ष्य में आज बिलासपुर सिविल लाइन थाना प्रभारी परिवेश तिवारी ने थाने पहुंचकर और वहां शस्त्र पूजा की।
आइए जानते हैं क्योंकि जाती है शस्त्र पूजा
दशहरे के दिन शस्त्र पूजन का विधान प्राचीन काल से ही चला रहा है। प्राचीन समय में राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए शस्त्र पूजन करते थे और शत्रुओं से लड़ने के लिए शस्त्रों का भी चुनाव करते थे। दशहरा मूल रूप से शक्ति का उत्सव है और आज के दौर में शक्ति के प्रतिक भारतीय सैनिकों एवं समस्त सेनाओं के हथियार हैं, जो जनता की रक्षा करते हैं। इसलिए इनकी पूजा की जाती है।
पुलिस जवान भी हर साल दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करते है। इस पूजन में भगवान राम के साथ जया और विजया देवियों की पूजा की जाती है। जया और विजया देवियों की पूजा के बाद अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि भगवान राम इन्हीं दोनों देवियों की पूजा की थी, फिर अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजन करने के बाद युद्ध के लिए निकले थे और लंका पर विजय प्राप्त की थी
कैसे की जाती है पूजा,,
ज्योतिष के मुताबिक शस्त्र पूजा में सबसे पहले शस्त्रों को इकट्ठा किया जाता है और फिर उन पर गंगाजल छिड़का जाता है। इसके बाद शस्त्रों पर हल्दी व कुमकुम का तिलक लगाया जाता है और फिर फूल अर्पित किए जाते हैं। शस्त्र पूजा में शमी के पत्तों का विशेष महत्व है। शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते भी शस्त्रों पर चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद महाकाली स्त्रोत का पाठ किया जाता है। पाठ के बाद शस्त्रों की आरती की जाती है और भोग लगाया जाता है