वनमंडल बलौदाबाजार में में नहीं थम रहा वन्य प्राणियों के मौत का सिलसिला,इन चार छह महीनों में दर्जनों वन्य प्राणियों की जा चुकी है जान
बलौदाबाजार। वनमंडल के उपवनमण्डल कसडोल अंतर्गत वनपरिक्षेत्र देवपुर में चारा एवं पानी के अभाव में फिर एक बायसन को अपनी ज़िंदगी से हाथ धोना पड़ गया
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले गांव के समीप बायसनों के झुंड में से एक बायसन बिछड़ कर पानी की तलाश में खेत में लगे बोरवेल से पानी पीने के उपरांत बोरवेल के पास कीचड़ में फंस गया था कि किसान सहदेव बरिहा द्वारा वन विभाग के कर्मचारियों की सूचना देने पर आनन फानन में वन विभाग के कर्मचारियों ने पल्ला झाड़ने तथ्य के अनुरूप जेसीबी मशीन से कीचड़ में फंसे बायसन को निकाल कर जंगल में छोड़ा गया था
मिली जानकारी के अनुसार देवपुर मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित गांव तेंदूचुवा के खार में मंगलवार की सुबह ग्रामीणों ने एक बायसन को खेत में फंसा देखा जिसकी जानकारी वन विभाग को दी गई।सूचना के बाद वन विभाग की टीम सहदेव बरीहा के उस खेत मे पहुची जहां बायसन फंसा था।इसके बाद खेत मालिक शहीत अन्य ग्रामीणों की मदद से वन विभाग द्वारा जे सी बी की सहायता से कोई तीन घण्टे की मशक्कत के बाद कीचड़ में फंसे बायसन को बाहर निकाला।इसके बाद बायसन का बगैर मेडिकल चेकअप कराए ही उसके हाल पर ही उसे जंगल की ओर खदेड़ दिया गया।बायसन को जंगल खदेड़ने के बाद वन विभाग द्वारा अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी।परन्तु जे सी बी की मदद लेने के कारण वृद्ध हो चुके बायसन को अंदरूनी चोट का अंदेशा था।लिहाजा जंगल खदेड़ने के दूसरे ही दिन उक्त बायसन की मौत हो गयी।
।।वन विभाग की लापरवाही से हुई मौत।।
ग्रामीण सूत्रों के अनुसार बायसन के कीचड़ में फंसने की खबर सुनते ही वन अधिकारी परेशान होने लगे थे लिहाजा वे जैसे तैसे बायसन को निकाल कर अपने क्षेत्र से बाहर भेजना चाहते थे।इसी जल्दबाजी के चलते वन विभाग ने जीवित बायसन को निकालने के लिए जे सी बी की सहायता ली और उसे जैसे तैसे निकाल कर अपने क्षेत्र से दूर खदेड़ दिया था।परन्तु हादसे एवम बाद में जे सी बी की संभावित चोट ही शायद इस वृद्ध बायसन के लिए मौत का कारण बन गयी।
।।पानी की तलाश में अभ्यारण्य से बाहर आ रहे प्राणी।।
ज्ञात हो कि बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे वन परिक्षेत्र देवपुर तक लगातार वन्य प्राणी दाना पानी की तलाश में पहुच रहे है।इसमें चीतल, बायसन ,काला हिरन के साथ तेंदुआ भी शामिल है।हाथियों का भी इस क्षेत्र में लगातार आना जाना बना हुआ है।इन वन्य प्राणियों के यहां आने का एकमात्र कारण इस क्षेत्र में लगाई जाने वाली रबी फसल है।खरीफ का धन कटते ही इस क्षेत्र के किसान तत्काल रबी फसल लगा देते है।क्योंकि इस क्षेत्र के किसानों के बोरवेल में पर्याप्त मात्रा में पानी है। पानी के कारण हरा भरा एवम ठंडा क्षेत्र देख कर वन्य प्राणी आकर्षित होते है।