बलौदाबाजार । पत्रकार से मारपीट व लूटपाट की घटना का निष्पक्ष जांच की मांग

जिला बलोदा बाजार
पत्रकार से मारपीट व लूटपाट की घटना का निष्पक्ष जांच की मांग 


*नीलकंठ धिरहे* 

बलौदाबाजार। एक बार फिर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर लूटपाट व मारपीट की घटना कों अंजाम दिया गया है। बताते चले की बीते गुरुवार की रात्रि 8 से 9 बजे के करीब बलौदाबाजार-रायपुर मार्ग स्थित शासकीय पोलिटेक्निक कॉलेज सकरी के सामने मेन रोड में आपराधिक प्रवृति के लोगों द्वारा पूर्वनियोजित ढंग से पत्रकारों कों रोककर लूटपाट व मारपीट किया गया है। जिले में लचर क़ानून व्यवस्था के चलते अपराधियों के हौसले बुलंद है तथा उनके द्वारा अनेकों घटनाएं कारित की जा रही है।

पत्रकारों की आवाज कों दबाने वाली इस घटना की सभी ओर घोर निंदा हो रही है तथा निष्पक्ष जाँच व कार्यवाही होने पर पत्रकार संगठनों द्वारा उग्र आंदोलन की बात कही जा रही है। घटना का विवरण इस प्रकार है कि पत्रकार गोविन्द रात्रे कों आबकारी विभाग में पदस्थ अधिकारी जैलेश सिंह का फोन आया और उसे मिलने के लिए बुलाया गया। जहाँ पर कुख्यात शराब कोचीया अक्षय गिरी द्वारा अधिकारी व पत्रकारगण की उपस्थिति में धमकी दिया गया और उसके कुछ घंटे पश्चात् धमकी देने वाले ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर पत्रकारों कों रास्ते में रोका तथा उनसे मारपीट व लूटपाट किया एवं जान से मारने की धमकी दी।

हमलावरों ने मारपीट का वीडियो भी बनाया तथा उस वीडियो कों अधिकारी जैलेश सिंह कों भेजा गया। हमले में बुरी तरह घायल गोविन्द रात्रे के बेहोश होने पर उन्हें मरा समझकर वहाँ से भाग निकले। घटना के पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद पीड़ित कों FIR लिखाने में करना पड़ा संघर्ष, जलेश सिंह के शह में खुलेआम दादागिरी करने वाले अक्षय गिरी व उनके गुंडे द्वारा लूटपाट व मारपीट करने की घटना से ज़ब थाना प्रभारी कों पीड़ित द्वारा बताया गया तो उन्होंने तुरंत एफ आई आर लिखवाता हूँ। आप लोग पहले डॉक्टरी मुलाहिजा करा लीजिए करके सिपाही के साथ हॉस्पिटल भेजा।

इसी बीच जैलेश सिंह सिटी कोतवाली आकर टीआई साहब से मिले और उनके बीच बातचीत हुई। उसके बाद से टीआई द्वारा एफआईआर न लिखकर पहले जाँच करने की बात कही जाने लगी। घटना से सम्बंधित सभी साक्ष्य जैसे जलेश सिंह के द्वारा फोन करके पत्रकार कों अपने पास मिलने बुलाने की कॉल रिकॉडिंग, अधिकारी व अन्य पत्रकारों के सामने अक्षय गिरी द्वारा खुलेआम धमकी देने वाला विडियो रिकॉर्ड, सकरी में लूटपाट व मारपीट किये जाने के समय सक्षम आई विटनेस शरीर कों घोर उपहति होना इत्यादि पर्याप्त साक्ष्य मौजूद है।

उसके बाद भी पीड़ित कों एफआईआर कराने में काफ़ी मसक्कत करना पड़ा तब जाके सुचना के चौबीस घंटे बाद प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज की गयी। लेकिन फिर भी घटना कारित करने के पीछे का मुख्य षड़यंत्रकारी अधिकारी जलेश सिंह कों मुख्य आरोपी नहीं बनाया गया है। बता दे की अपराधियों द्वारा मार पिट करके अपने मोबाइल में वीडियो रिकॉर्ड किया गया है जिसे काम हो गया करके जलेश सिंह कों भेजा भी किया गया है जिन पर तत्काल जाँच क़र पुष्टि करने की आवश्यकता है। दोषी अधिकारी कों बचाने की मंशा से विलम्ब से एफआईआर करने व अभी तक दोषियों का अभी तक खुला घूमना पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा क़र रहा है।

अक्षय गिरी का जैलेश सिंह से क्या है सम्बन्ध

थाना लवन क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बनगबौद का निवासी अक्षय गिरी पेशे से कुख्यात शराब कोचिंया है तथा अपने गांव में कच्ची माल की मिनी फैक्ट्री चलाता है व लाखों की अवैध कमाई करता है। पूर्व में अवैध शराब विक्रय के मामले में जेल भी जा चूका है। अक्षय गिरी का आबकारी अधिकारी जैलेश सिंह से गहरा सम्बन्ध है। परन्तु ये सम्बन्ध किसी रिश्तेदारी या नातेदारी का नहीं बल्कि अवैध उगाही व कमीशनखोरी का है। अक्षय गिरी का जैलेश सिंह के साथ उठना बैठना एवं साथ में कार्रवाही के लिए जाना तथा प्रभार क्षेत्र के अन्य कोचिंयो कों पकड़ना, मारना पीटना डराना धमकाना और उनसे बड़ी धनराशि वसूल क़र जैलेश सिंह कों देने का काम करता है। इसी कारण दोनों का सम्बन्ध बहुत गहरा है। इसी एवज में वह जैलेश सिंह की सह में अपने गांव में खुलेआम कच्ची माल का निर्माण करता है व बिक्री करता है।

आबकारी विभाग से सम्बन्ध का धौंस दिखाकर दबावपुर्वक क्षेत्र के कोचिंयो के पास अपना कच्ची माल बेचता है। जों लोग खुद महुआ शराब बनाते है या देशी विदेशी मदिरा की बिक्री करते है उन्हें पकड़वाता है व सेटलमेन्ट करता है। अक्षय गिरी कों जैलेश सिंह का पाला हुआ गुंडा कहने में कोई अतिस्योक्ति नहीं होंगी क्योंकि व अधिकारी के आदेश पर मरने मारने तक के लिए तैयार रहता है।

निष्पक्ष जाँच की हो रही मांग

पत्रकारों पर हुई इस हमले पर राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न पत्रकार संगठनों ने निंदा की है तथा निष्पक्ष जाँच क़र दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग क़र रहे है। चुकि पुलिस की कार्यशैली से पता चलता है की उनके द्वारा शासकीय सेवक कों बचाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इस बात ध्यान दिया जाना चाहिए की अक्षय गिरी का हौंसला इसी कारण बुलंद है क्योंकि उनको उक्त अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है।वह अपराध करने से पहले ही जानता है की उनको छुड़ा लिया जायेगा और जेल से बाहर आकर वह पुनः अवैधानिक कार्यों में संलिप्त होकर अपराध करेगा। पुलिस कों चाहिए की समाज कों अपराध मुक्त करने के लिए अपराध की जड़ तक जाये व सख्त से सख्त कार्यवाही हो जिससे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ दृढ़ता से समाज के लिए खड़ा रह सके।

Mukesh tiwari

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