ओंकारेश्वर: जहां नर्मदा के संग बहती है भक्ति की धारा
✍️ मुकेश तिवारी की कलम से
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर हिंदू धर्म के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। नर्मदा नदी के मध्य स्थित यह द्वीप अपनी धार्मिक महत्ता, प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: जहां शिव का दिव्य वास
यह ओंकार पर्वत पर स्थित है, जिसका आकार ॐ (ओंकार) जैसा माना जाता है। यहां ओंकारेश्वर और ममलेश्वर (अमरेश्वर) दो मंदिर हैं, जिन्हें एक ही ज्योतिर्लिंग का रूप माना जाता है।
अद्भुत वास्तुकला और पौराणिक इतिहास
नागर शैली में निर्मित यह मंदिर प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है। इसके गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग स्थित है, जिसकी प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
प्रकृति और अध्यात्म का संगम
नर्मदा के शांत जल, चारों ओर पहाड़ियों और हरियाली से घिरा यह धाम एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। नदी में नौका विहार करते हुए श्रद्धालु इस दिव्य धाम तक पहुंचते हैं, जो उन्हें आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।
ओंकारेश्वर कैसे पहुंचे?
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन खंडवा (75 किमी)
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (80 किमी)
सड़क मार्ग: इंदौर, भोपाल और अन्य शहरों से सीधा बस एवं टैक्सी सेवा उपलब्ध
ओंकारेश्वर: भक्ति, शांति और पर्यटन का अनोखा संगम
यहां योग, ध्यान और साधना के लिए भी विशेष वातावरण है। हर वर्ष श्रावण मास, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा पर यहां विशाल भंडारे और धार्मिक आयोजन होते हैं।
अगर आप शिव की महिमा का साक्षात अनुभव करना चाहते हैं, तो ओंकारेश्वर की यात्रा अवश्य करें और स्वयं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर करें!