अपनी नाकामी छुपाने वनरक्षक ने पत्रकारों को झूठे केश में फसाने की दी धमकी......कही निरापराध की सजा तो नहीं काट रहे होंगे ग्रामीण......

अपनी नाकामी छुपाने वनरक्षक ने पत्रकारों को झूठे केश में फसाने की दी धमकी......

कही निरापराध की सजा तो नहीं काट रहे होंगे ग्रामीण......

कसडोल। बारनवापारा अभ्यारण्य में अभी बरसात के मौशम में कुक्षेक जगहों पर अखाद्य घास उन्नमूलन का कार्य प्रगति पर चल रहा है।वही समाचार संकलन के लिये फील्ड में निकले संवाददाताओं को खैर छापर नामक स्थान के समीप कक्ष क्रमांक 114 में देवेन्द्र ठाकुर वन-रक्षक के द्वारा अखाद्य उन्नमूलन के साथ ही साथ चारागाह विकास कार्य का काम भी संबंधित एक ही मजदूरों द्वारा दोनों कार्यों का काम कराया जा रहा है।मौके पर मौजूद वनरक्षक देवेंद्र ठाकुर से संबंधित कार्यों की जानकारी के बारे में पूछे जाने पर भड़कते हुए कहा कि मैं फालतू आदमियों से बात नहीं करता करके चलते चला गया।इसी दौरान उसकी  इस बात पर हमने नाराजगी जताते हुए उनके साथ हो चले जहाँ मजदूर घास उखाड़ने का कार्य मे लगे हुए थे।तो फिर से चल रहे कार्य संबंधित जानकारी पूछा गया तो वन-रक्षक देवेंद्र ठाकुर ने कहा मैं कुक्ष नहीं बताऊंगा जो पूछना है डिप्टी साहब से जाकर पूछो डिप्टी साहब गोपाल वर्मा ने कहा है कि किसी को भी कुछ मत बताना जो भी है उसको मेरे पास भेजना करके बोले है जाओ जाकर डिप्टी साहब गोपाल वर्मा से पूछो मेरा क्या उखाड़ लोगो वीडियो बनाना बंद करो तुम लोगों को चीतल के सींग के साथ फोटो खींच कर झूठे केश में मैं फंसा दूंगा।इस तरह से पत्रकारों की सामान्य सी जानकारी पूछे जाने पर झूठे केश में फंसा देने की धमकी आखिर किसके संरक्षण में दी जाती है।जंगल का रक्षक कम जंगल का भक्षक बन बैठे हैं आपराधिक सोच रखने वाले देवेंद्र ठाकुर,और  वन-विभाग वाले ऐसे में तो न जाने कितने मासूम गांव वालों को अपनी नाकामी,अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए झूठे केश में फंसाते होंगे?जिसकी खामियाजा ग्रामीण निरापराध सजा काटते होंगे।जब इस तरह से पत्रकारों को झूठे केश में फसाने की खुली धमकी दी जाती है तो आम ग्रामीणों के साथ में क्या नहीं होता होगा?ये वही वन-रक्षक है जिनके पकरीद निवास स्थान से महज 50 मीटर की दूरी पर 2-3 दिनों से देवपुर परिक्षेत्र अंतर्गत विद्युत करेंट की चपेट से धरती के विशालकाय जीव की दर्दनाक मौत हुई थी।और इनको भनक तक नहीं लगा और इनको विभागीय तौर से कुछ भी पूछताछ नहीं हुई।क्या इस घटना के बारे में ये जवाबदेह नहीं थे?जबकि वह घटना निवास स्थल से कुछ ही दूरी पर था इसमें भी विभाग के उच्चाधिकारियों के अपने इस चहेते कर्मचारी की नाकामी छुपाते हुए पर्दा डाल दिया गया।और गांव वालों को चपेट में लेकर विभाग अपने आप को नापाक साबित करने में सफल भी रहा।क्या पत्रकारों से बदसूलीकी करने वाले,अपने जवाब देहि से पल्ला झाड़ने वाले वन-रक्षक पर उच्चधिकारी कार्यवाही करेंगे या फिर विभागीय संरक्षण में महफूज रखेंगे ये आगे देखने वाली बात होगी।वही इस सम्बंध में बारनवापारा अभ्यारण्य  वन-अधीक्षक आनंद कुदर्रिया ने घटना से खेद जताते हुए वन-रक्षक देवेंद्र ठाकुर पर कार्यवाही करने की बात कही है।

Mukesh tiwari

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