खबर का असर: मौत का तालाब, स्थानीय लोगो का जीना हुआ दूभर,,
बिलासपुर। सुनामी छत्तीसगढ़ मीडिया ने मौत का तालाब, स्थानीय लोगो का जीना हुआ दूभर प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था। जिस पर पर्यावरण विभाग ने अपनी साख बचाने के लिए छेरकाबाधा कोटा स्थित वेलकम डिस्टलरी फैक्ट्री पर 14 अगस्त से प्रतिदिन तीस हजार रूपये की पेनाल्टी लगा रहा है।
बिलासपुर जिले के कोटा के छेरकाबाँधा में शराब बनाने वाली वेलकम डिस्टलरी फैक्ट्री के जहरीले पानी और बदबू से स्थानीय लोग परेशान है । वही जहरीला तालाब लोगो के मौत को खुला आमंत्रण दे रहा है। इस तालाब में कोई गलती से भी गिर जाय तो उसका बचाना मुस्कील है। जिला मुख्यालय बिलासपुर से 40 किलोमीटर दूर कोटा ब्लाक के छेरकाबाँधा ग्राम पंचायत कभी हरियाली के नाम से जाना जाता था। यहा वन विभाग का एक तालाब है जो कई एकड़ में फैला हुआ है। फैक्ट्री के प्रदूषित जल से तालाब का पानी जहरीला होता जा रहा है। फैक्ट्री का दूषित जल नाली और पाइप के माध्यम से तालाब में प्रवाहित हो रहा है।
तालाब के जहरीला पानी ने पेड़-पौधों को भी निगल चुका है साथ ही गंभीर बीमारियों के साथ साथ बेहिसाब पनपते मच्छरों की पनाहगाह बन गया है और दावत दे रहा, डेंगू चिकनगुनिया जैसी तमाम गंभीर बीमारियों को। इस तालाब के बदबू से स्थानीय लोग परेशान है। जहरीले तालाब के पास पशु पक्षी भी नही जाते है। स्थानीय लोगो का कहना है कि इस मौत के तालाब में कई पशु मौत के गाल में समा चुके है। जी हां शराब बनाने वाली वेलकम डिस्टलरी फैक्ट्री की केमिकल युक्त जहरीला पानी उस तालाब में जाकर जमा होता है। पर्यावरण विभाग के अधिकारी अपने बचाव के लिए कभी छोटा मोटा फाइन लगा कर खाना पूर्ति का काम कर लेते है। स्थानीय लोगो का यह भी कहना है कि केमिकल युक्त जहरीले पानी से पर्यावरण को भरी नुकसान हो रहा है।
स्थानीय लोगो का यह भी कहना है इस पूरे मामले में पर्यावरण विभाग के साथ साथ शासन प्रशासन की शराब फैक्ट्री के साथ मिली भगत है। इसकी जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी है उन पर कार्यवाही होनी चाहिए। वैसे वेलकम डीस्लरी के खिलाफ विधानसभा में भी मामला उठ चुका है। इसके बावजूद पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के कान में जूं नहीं रेंग रहा है। पर्यावरण विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखने में लगे हैं। तमाम शिकायतों के बावजूद दोषियों पर करवाही नही हो रहा है। वैसे एक कहावत है, बाप न बड़ा भैया, सबसे बड़ा रुपैया जो पर्यावरण विभाग के अधिकारियों पर सटीक बैठता है। वही खबर प्रकाशित होने के बाद पर्यावरण विभाग कुम्भ करणीय नीद से जागी है और वेलकम डीस्लरी पर खाना पूर्ति करते हुए तीस हजार रूपये की प्रतिदिन फाइन लगा कर पल्ला झाड़ लिया है।
'' राजेंद्र प्रसाद वासुदेव साइंटिस्ट पर्यावरण विभाग बिलासपुर ने बताया कि मामले की जानकारी होने पर टीम ने जांच किया जिस पर तीस हजार रूपये प्रतिदिन फाइन वेलकम फैक्ट्री पर लगाया जा रहा है''
पढ़ते रहिए पर्यावरण विभाग के भ्रष्टाचार की कहानी,,जल्द करेंगे एक और भ्रष्टाचार का खुलासा,,