आर्थिक व्यापारिक एवं जन सुविधा को देखते हुए रीवा मिर्जापुर रेल लाइन का नेशनल हाईवे के समानांतर करवाया जाए निर्माण आनंद मिश्रा हनुमना
देश के आजादी के जमाने से पहले की बहु प्रतीक्षित रेल लाइन रीवा मिर्जापुर का निर्माण आज तक मंजूरी के दो दशक से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य न शुरू होना दुर्भाग्यपूर्ण है
केंद्र से लेकर प्रदेश तक भाजपा की डबल इंजन की सरकार है और इस मौके का फायदा अगर संबंधित जनप्रतिनिधि नहीं उठा पा रहे हैं तब उनके ऊपर उंगली उठना लाजिमी है अपुस्ट सूत्रों से जानकारी एवं लोगों के बीच यह चर्चा है कि रेलवे द्वारा किया गया फाइनल प्रथम सर्वे को भी रीवा जिले के 2 जनप्रतिनिधि डिस्टर्ब कर अपने निजी स्वार्थ के लिए दोबारा सर्वे अपने मन का कराने के लिए रेलवे मंत्रालय पर दबाव बना रहे हैं अगर यह दोनों जनप्रतिनिधि जितना प्रयास दोबारा सर्वे कराने के लिए जोर लगा रहे हैं अगर इसका आधा भी प्रयास किए होते तो आज रीवा मिर्जापुर रेल लाइन निर्माण का कार्य शुरू हो जाता इसी कारण वर्ष 2016-17 में 680 करोड़ रेलवे मंत्रालय द्वारा मंजूर करने के बाद आज तक निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी वैसे भी अगर उक्त रेल लाइन का निर्माण आजादी के समय में हो गया होता तो क्षेत्र का काफी विकास अब तक हो गया होता कई हजार लोगों को जहां प्रतिदिनआवागमन की सुविधा मिलती ती वही रोजी रोजगार का अवसर प्राप्त होता एवं विंध्य के कई जिले देश और प्रदेश से सीधे जुड़ जाते राजनीतिक पार्टियों भी यह मुद्दा एक दो बार सिर्फ चुनाव के समय उठाती है परंतु चुनाव संपन्न होने के बाद यह महत्वपूर्ण मुद्दा भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है यह मुद्दा काफी दिनों से लोग सुनते सुनते थक से गए हैं और अब इसमुद्दे को लेकर बड़े जन आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं स्थानीय लोगों ने पुनः प्रेस के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री मोदी जी रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भी इस मुद्दे को केंद्रीय स्तरमें पहल करने की मांग की गई है