आज देश के अन्नदाता सवाल कर रहा है अन्नदाता आज अपनी हालात को लेकर धरातल की समस्या को लेकर अन्नदाता लगा रहा है गुहार
आवाज वह अन्नदाता अपने शब्दों में कहता है कि आज देश में हर सामान का रेट आसमान छू रहा है
उदाहरण के तौर पर सब्जी वाला अपना रेट बनाता है व्यापारी अपने सामान का रेट स्वयं बनाता है सरकार खाद कीटनाशक दवाई एवं अन्य सामग्री का रेट स्वयं निर्धारित करता है
लेकिन अन्नदाता कहता है कि सदियों से हम अपने और आनाज का रेट नहीं बना रहे हैं जिसकी वजह से हमारी कमर टूटती नजर आ रही है
हम अपने परिवार एवं बच्चों को कैसे पढ़ाएं लड़कियों की शादी कैसे करें यह एक सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है
क्योंकि महंगाई का जो रेट है उस आधार पर हमारे अनाज का रेट सरकार द्वारा निर्धारित नहीं किया गया है
जिसके वजह से हम घुट घुट के जिंदगी जी रहे हैं यह सवाल अन्नदाता सरकार के पास गुहार लगाने के लिए कर रहा है
अन्य दाताओं के साथ वादा ही हाथ क्यों लगता है कई बार अन्नदाता ओं को बड़े-बड़े ढूंढो रे तो पीटे गए हैं
लेकिन वह ढिंढोरा भी खोखला दिख रहा है क्योंकि दोगुना आए अन्नदाता कि नहीं हुई एमएसपी का रेट किसानों को नहीं मिला
जिसके वजह से अन्नदाता का अनाज कूडा के भाव जा रहा है
और अन्नदाता सिर पर हाथ रखकर रो रहा है हालात को लेकर अन्नदाता कई बार आवाज लगा चुका है
और उसी के साथ-साथ संगठन भी सरकार के पास कई महीनों तक गुहार लगाए
लेकिन वादा के सिवाय अन्नदाता
जिस तरह से खेतिहर जमीन ऊसर भूमि में बदल रही है यह किसानों के लिए चिंताजनक है ज्ञात हो कि भले ही विकास खंड स्तर पर मिट्टी परीक्षण केंद्र के भवन तैयार कर दिए गए हैं लेकिन मृदा की जांच करने वाले अधिकारी द्वारा कार्यालय विकासखंड मऊगंज अंतर्गत नहीं खोली जाती कई वर्षों से कार्यालय बनकर तैयार है
रखरखाव के अभाव में वह भी खंडहर रूप ले रहा है कई किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है विकासखंड अंतर्गत मिट्टी के पोषक तत्व घट रहे हैं जिसकी वजह से खेती पर सीधा असर पड़ रहा है
कृषि विभाग के अधिकारी इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं किसानों को मिट्टी परीक्षण की कोई जानकारी नहीं होती है प्रति वर्ष सरकार द्वारा मिट्टी परीक्षण का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है
जबकि कृषि विभाग की मनमानी गैर जिम्मेदार व्यवस्था से किसानों के मिट्टी का परीक्षण नहीं हो पाया है जिससे आए दिन किसानी प्रभावित हो रही है एवं दिनोंदिन ऊपज घटती जा रही है
जब शिक्षा विभाग के जिला अधिकारियों से संपर्क कर चर्चा करने की कोशिश की जाती है तो जिला के शिक्षा विभाग केअधिकारी भी गोलमोल का जवाब देते नजर आए
जिले से लेकर ब्लॉक तक के अधिकारी एवं छात्रावास के अधीक्षकों की कागजी कोरम पूरा करने में कहीं भी कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है
सरकार द्वारा बच्चों के लिए कई योजनाओं को कागज के पन्नों में लिखा जाता है धरातल पर बच्चों को वह सुविधा नहीं मुहैया हो रही है
मऊगंज विकास खंडों में ज्यादातर छात्रावासों की स्थिति दयनीय है जहां छात्रों के साथ दुर्व्यवहार प्रताड़ना के अलावा अनुपस्थित होने पर उपस्थिति रजिस्टर दिखाकर उनमें खर्च होने वाली राशि को अधीक्षक द्वारा निकाल ली जाती है
भोजन से लेकर सभी सुविधाएं दी जाने वाली राशि उपस्थिति दिखाकर निकाल ली जाती है जिला कलेक्टर के आदेश का भी छात्रावास अधीक्षक पर दिखाई नहीं दे रहा
उतनी उपस्थिति रजिस्टर में नहीं बल्कि पूरी संख्या दिखाई जाती है यह हाल पूरे वर्ष चलता है 10 की संख्या रहने पर 50 की संख्या दिखाकर उन पर खर्च की गई
अधीक्षक द्वारा निकाल ली जाती है पूरे वर्ष छात्रों की संख्या रोजाना कम रहती है किंतु रजिस्टर में सत प्रतिशत उपस्थित दिखाते हैं
छात्रावास के रखरखाव साफ सफाई बिजली पानी के लिए अतिरिक्त राशि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है किंतु छात्रावास में गंदगी का वातावरण निर्मित रहता है
छात्रावास में लगे बोर्ड दीवारें एवं गेट ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे आदिम जमाने के हैं छात्रावास के अंदर गंदगी रहती है सफाई का ध्यान नहीं दिया जाता
मऊगंज के लगभग सभी छात्रावासों की स्थिति यही है यह स्थिति तब है जब मऊगंज में प्रदेश के मुखिया का आगमन हो रहा है इन परिस्थितियों में भी छात्रावास की स्थिति नहीं सुधर रही
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