आइये समझते हैं नए नवेले जिले मऊगंज सीट का सियासी समीकरण क्या कह रहा है../Mauganj Vidhan Sabha Seat Analysis:
विंध्य की महत्वपूर्ण सीट मानी जाने वाली मऊगंज से साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदीप पटेल ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह को 7776 मतों के अंतर से हराया था. 2020 के उपचुनाव के बाद ऐसा लंबे समय बाद हुआ की यहां से सरकार और विधायक दोनों एक ही पार्टी के हुए.
मऊगंज का इतिहास ऐसा रहा है कि यहां हमेशा ही सत्ता के विपरीत या सरकार से बाहर की पार्टी का ही विधायक जनता ने चुना है. 1972 से 1980 के बीच में हुए 3 चुनावों को छोड़ दिया जाए तो बाकी समय में यहां सत्ता के विपरीज के नेता को इलाके की जनता ने चुना है. हालांकि, 2020 में उपचुनाव के बाद बीजेपी सत्ता में लौटी तो यहां से पहले ही बीजेपी के विधायक थे.
1985- अर्जुन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार लेकिन, मऊगंज से जनता ने भाजपा के जगदीश तिवारी को चुना
1990- सुंदरलाल पटवा ने सरकार बनाई. हालांकि, जनता ने इस बार कांग्रेस से उदयप्रकाश मिश्रा को विधायक बनाया
1993- कांग्रेस सत्ता में आई तो दिग्विजय सिंह ने सरकार बनाया. इस साल भी मऊगंज की जनता ने बसपा के आइएमपी वर्मा को चुना
2003- भाजपा की जीत में उमा भारती ने सरकार बनाई. इस बार भी मऊगंज की जनता ने बसपा के विधायक आइएमपी वर्मा को चुना
2008- इस बार फिर भाजपा ने सरकार बनाई. लेकिन, तब तक BJP से अलग बनी जनशक्ति पार्टी से लक्ष्मण तिवारी को जनता ने चुना
2013- शिवराज सिंह चे नेतृत्व में फिर से भाजपा ने सरकार बनाई. लेकिन, इस बार भी जनता ने रिकॉर्ड कायम रखते हुए कांग्रेस के सुखेन्द्र सिंह बन्ना को चुना
2018- 15 सालों के गैप के बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी. तब मऊगंज की जनता ने बीजेपी के प्रदीप पटेल पर अपना भरोसा जताया
अब क्या होगा समीकरण
मऊगंज को इस बार जिला बनाया गया है. सत्ता में बीजेपी है और चुनाव के कारण इस बार यहां विधायक भी बीजेपी से हैं. अब देखना होगा की 2023 के चुनावों में किसकी सरकार बनती है और जनता इस बार किसे यहां से विधानसभा भेजती है. ये तो चुनाव परिणामों में ही पता लगेगा की सरकार कौन बनाता है और जनता अपना विधायक चुनने का रिकॉर्ड बरकरार रखती है या तोड़ती है.
हलाकि भाजपा ने एक फिर प्रदीप पटेल को मौका दिया वही कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुखेंद्र बन्ना पर विश्वास जताया है ।