होली: रंगों का उत्सव और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक
✍🏻 मुकेश तिवारी
भारत में त्योहारों का अपना एक अलग ही महत्व है, लेकिन अगर किसी पर्व को खुशियों, उल्लास और सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक माना जाए, तो वह होली ही है। यह पर्व न केवल रंगों से सराबोर होता है, बल्कि यह समाज में प्रेम, भाईचारे और सद्भाव को भी मजबूत करता है।
होली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
होली का त्योहार पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उसकी राक्षसी बुआ होलिका की कथा इस पर्व से जुड़ी हुई है। यह कहानी हमें सिखाती है कि अहंकार और अधर्म की सदा हार होती है, जबकि सच्ची भक्ति और धर्म की हमेशा जीत होती है।
साथ ही, यह त्योहार भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और राधा-कृष्ण के प्रेम की याद दिलाता है। वृंदावन और मथुरा की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहाँ गुलाल, फूलों और प्रेम के रंगों में डूबकर लोग आनंद मनाते हैं।
रंगों का महत्व और सामाजिक समरसता
होली का सबसे बड़ा संदेश समरसता है। इस दिन छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, जात-पात का भेद मिटाकर सभी एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि जीवन में नकारात्मकता और ईर्ष्या को दूर कर, प्रेम और मेल-जोल को बढ़ाना चाहिए।
होली और आधुनिक समाज
आज के दौर में जब लोग भाग-दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त हैं, होली उन्हें अपने दोस्तों और परिवार के साथ जुड़ने का एक सुंदर अवसर देती है। यह त्योहार हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने अंदर के ‘असली रंग’ को नहीं भूलना चाहिए – यानी सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम और परोपकार के रंगों को अपने जीवन में बनाए रखना चाहिए।
सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल होली का संदेश
बदलते समय के साथ हमें यह भी ध्यान देना होगा कि हम प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें और जल संरक्षण का संदेश फैलाएं। पानी की बर्बादी से बचते हुए, सूखी होली मनाना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
निष्कर्ष
होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने का त्योहार है। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन में कितनी भी परेशानियाँ क्यों न हों, अंततः जीत प्रेम और सच्चाई की ही होती है। आइए, इस होली पर अपने जीवन में खुशियों के रंग भरें और समाज में सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाएँ।
"रंग बरसे, खुशियाँ छाएँ, द्वेष मिटे, प्रेम बढ़े – यही होली का असली रंग है!"
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!